रविवार, ११ ऑक्टोबर, २०१५
शनिवार, १० ऑक्टोबर, २०१५
बेरी बेरी रोगाची लक्षणे व कारणे
बेरी बेरी रोग
परिचय:-
बेरी-बेरी रोग के कारण रोगी व्यक्ति का स्नायु संस्थान कमजोर हो जाता है। इस रोग की कई किस्में होती हैं।एक सूजन वाला बेरी-बेरी रोग, दूसरा पुराना बेरी-बेरी रोग आदि। इस रोग के कारण हृदय की गति बन्द होजाती है तथा पेशाब रुक-रुक कर आता है। पुराना बेरी-बेरी रोग हो जाने पर शरीर के अधिकांश भीतरी तंतुओंका नाश हो जाता है। शरीर में विटामिन `बी´ की कमी होने से बेरी-बेरी रोग व्यक्तियों को हो जाता है और इसरोग के कारण कई रोगी व्यक्ति तो अन्धे भी हो जाते हैं
बेरी-बेरी रोग होने का कारण:-
बेरी-बेरी रोग के कारण रोगी व्यक्ति का स्नायु संस्थान कमजोर हो जाता है। इस रोग की कई किस्में होती हैं।एक सूजन वाला बेरी-बेरी रोग, दूसरा पुराना बेरी-बेरी रोग आदि। इस रोग के कारण हृदय की गति बन्द होजाती है तथा पेशाब रुक-रुक कर आता है। पुराना बेरी-बेरी रोग हो जाने पर शरीर के अधिकांश भीतरी तंतुओंका नाश हो जाता है। शरीर में विटामिन `बी´ की कमी होने से बेरी-बेरी रोग व्यक्तियों को हो जाता है और इसरोग के कारण कई रोगी व्यक्ति तो अन्धे भी हो जाते हैं
बेरी-बेरी रोग होने का कारण:-
- यह रोग शरीर में विटामीन `बी´ की कमी के कारण होता है। विटामीन `बी´ की कमी के कारणरोगी का स्नायुसंस्थान कमजोर हो जाता है।
- शरीर में विजातीय द्रव्यों के भर जाने के कारण व्यक्ति की आंख, स्नायुसंस्थान और हृदय बहुतअधिक प्रभावित होते हैं जिसके कारण व्यक्ति को यह रोग हो जाता है।
- सड़े चावल, बिना चोकर का आटा तथा सरसों के तेल आदि में आर्जियोन मैक्सिक पान,हाइट्रोसियानिक एसिड, व्हाइट ऑयल या पेट्रोलियम मिले होने के कारण से भी यह रोग व्यक्तिको हो जाता है।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को हमेशा कब्ज की समस्या रहती है।
- रोगी व्यक्ति को भूख नहीं लगती है तथा उसकी पाचनशक्ति बिगड़ जाती है।
- इस रोग से पीड़ित रोगी के शरीर में बहुत अधिक कमजोरी आ जाती है।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को कई प्रकार की बीमारियां हो जाती हैं- रक्तहीनता (खून की कमी),सांस का फूलना, शोथ (सूजन), अतिसार, ज्वर, रक्तस्राव, यकृतदोष तथा हृदय रोग आदि।
- कभी-कभी इस रोग से पीड़ित रोगी का पेशाब रुक-रुक कर आता है।
- बेरी-बेरी रोग का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए सबसे पहले इस रोग के होने केकारणों को दूर करना चाहिए और इसके बाद इस रोग का उपचार करना चाहिए।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को कई प्रकार की चीजें- लाल गेहूं की रोटी, ढकी के चावल का मांडसहित लाल भात, लाल चिउड़ा पालक, पोई, फूलगोभी, आलू, गाजर, शलजम, सेम, टमाटर,ताजी साग-सब्जियां उबला हुआ अंकुरित चना, पपीता, अनन्नास, लेमू, खूब पका हुआ केला,सेब, सूखे मेवे आदि अधिक मात्रा में खाने चाहिए और फिर इस रोग का उपचार करना चाहिए।
- इस रोग से पीड़ित रोगी को नमक बहुत ही कम खाना चाहिए यदि रोगी व्यक्ति नमक न खाएतो उसके इस रोग को ठीक होने में बहुत कम समय लगता है।
- इस रोग का इलाज करने के लिए रोगी व्यक्ति को 2-3 दिनों तक ताजे फलों का रस प्रत्येक 3घण्टे के अंतराल पर रोगी को पिलाना चाहिए तथा इसके बाद रोगी के पेट को साफ करने के लिएउसको एनिमा देना चाहिए। इसके बाद 7 दिनों तक सुबह के समय फलों का रस, दोपहर केसमय रसदार फल और दूध तथा शाम के समय में सप्ताह में किसी एक दिन भाजी का सलादतथा किसी एक दिन उबली हुई सब्जियों का सेवन कराना चाहिए।
- रोगी व्यक्ति को सुबह के समय में फल और दूध तथा दोपहर के समय में रोटी-सब्जी तथा रातके समय में सिर्फ फल या सब्जी देनी चाहिए। ऐसा कुछ दिनों तक करने से रोगी व्यक्ति कुछ हीदिनों में ठीक हो जाता है।
- रोगी व्यक्ति को सुबह के समय में लगभग 5 मिनट तक अपने पेट पर भीगी मिट्टी का पट्टीलगाकर सोना चाहिए तथा सप्ताह में 1 बार एप्सम साल्टबाथ (पानी में नमक मिलाकर उसपानी से स्नान करना) करना चाहिए। यदि रोगी को कब्ज की समस्या हो तो उन दिनों में रोगीको एनिमा देना चाहिए तथा उसके हृदय पर असर हो जाने पर रोगी को पूर्ण रूप से आराम करनाचाहिए। इसके बाद प्रतिदिन आधे घण्टे तक रोगी के शरीर की मालिश करने से उसका बेरी-बेरीरोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से बेरी-बेरी रोग का इलाज करने से रोगी व्यक्ति कुछ ही दिनों में ठीक होजाता है
बर्मूडा ट्रँगल
बर्मूडा ट्रँगल
प्लोरिडा आणि बर्मूडा या भूभागाच्यामध्ये असणा-या कांहीशा त्रिकोणी सागरी प्रदेशाला
बर्मूडा ट्रँगल असे म्हणतात. भूतांचा त्रिकोण
किंवा हुडू सागर असेही भयंकर नांव या भागाला आहे. गेल्या सहा दशकात शेकडोंनी अपघात झालेल्या या बर्मूडा
ट्रँगलच्या ५ विचित्र घटना.
१. कोलंबसचा खराब झालेली दिशा दर्शक :
सन १४९२
मध्ये प्रसिध्द दर्यावर्दी ख्रिस्तोफर कोलंबसने
भूतांच्या त्रिकोणातील (बर्मूडा ट्रँगल)
आपल्या प्रवासाची नोंद डायरीमध्ये केली आहे. तो म्हणतो की या प्रदेशात
कांही गूढ मॅग्नेटीक ओढ आहे. बोटीवरील दिशादर्शक यंत्रे विचित्रपणे
वागू लागली आहेत. आणि हो, एक आगीचा लोळ देखील नुकताच
समुद्रात पडलेला खलाशांनी पाहिला आहे.
२. शांत, गूढ एकही
मनुष्य नसलेले ‘सेलेस्टे’ जहाज :
सन १८७२ आणखी एक भयंकर चक्रावणारी घटना समोर आली. नोव्हेंबर ७, जिनीव्हाला
जाण्यासाठी ‘मेरी सेलेस्टा’ हे जहाज
प्रवासी व खलाशी घेवून निघाले, एक
महिन्यांनी बर्मुडा ट्रँगलमध्ये
‘मेरी सेलेस्टा’ इतर
जहाजांना दिसली, परंतू एकाही मनुष्याविना. संपूर्ण जहाज त्यावरील साहित्य, मौल्यवान
वस्तू अगदी जशाच्या तश्या होत्या.
त्या शांत जहाजाला समुद्रात कमी होती ती फक्त मनुष्यांची.सर्वजण अगदी सागरात जणू दडून बसले होते..
३. प्लाईट १९ विमानांचे अचानक नाहिसे होणे :
५ डिसेंबर १९४५ ला बर्मूडा ट्रँगलने एकाच वेळी पांच
विमानांना गिळंकृत केले. रुटीन ट्रेनिंगला निघालेली
तज्ञ पायलटची टीम असणारी पाच ऍव्हेंजर जातीची विमाने दुदैवाने परत येऊ शकली नाहीत. पायलटांचा प्रमुख
चार्लस् टेलर, ज्याला त्या भागाची पूर्ण माहिती होती त्याने दिलेला शेवटचा
संदेश फारच भयावह होता. तो म्हणतो, ‘सर्व
कांही चुकलेले, वेगळे वाटत आहे.
समुद्रसूध्दा नेहमीसारखा नाही. अगदी वेगळा,’ पांच
विमानांचे अदृश्य होणे कमी होते की काय कारण या विमानांना शोधण्यास
गेलेल्या मार्टीन मरीनर या मोठया विमानाचा देखील २३ मिनिटांनी स्फोट झाला. आज अखेर त्या पाच विमानांचा
शोध लागलेला नाही.
४. नाहीशी झालेली १२,०००
टनी यू.एस.एस. सायक्लोप्स :
बर्मूडा ट्रँगलने घेतलेला हा १२,०००
टनी घास. सुमारे ५२२ फूटांची प्रचंड ‘सायक्लोप्स’ नांवाची
अमेरिकन नौदलाची ही बोट. ८ जानेवारी १९१८ ला १०,००० टन
माल व ३०१ सैनिक घेवून बाल्टीमोरला जाणरी ही बोट
अचानक बर्मूडा ट्रँगलला वळल्याची नोंद
झाली. खरेतर हे सारे प्लॅन प्रमाणे नव्हते.कारण बर्मूडा ट्रँगल प्रवासातील मार्गात येतच नव्हते. १३
मार्चला जेंव्हा ही प्रचंड बोट कांहीच संदेश
देईना तेंव्हा सा-या अमेरिकेने आपली सर्व सैनिकी ताकद लावून शोधमोहिम राबविली, परंतु
तोपर्यंत १२,००० टनी घास घेवून बर्मूडा गुपचूप बसला
होता.
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